25 मई- 2013- मुम्बई. मारूति सुज़ुकी के मजदूरों द्वारा अपनी जायज़ माँगों के लिए किए जा रहे शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर हरियाणा पुलिस द्वारा 18 व 19 मई को किए गए बर्बर दमन के विरुद्ध अपना विरोध दर्ज कराने, प्रदर्शन करने, हरियाणा सरकार पर दबाव बनाने व मुम्बई की आम आबादी के बीच मारूति के पूरे प्रकरण की सच्चाई को लेकर जाने के उद्देश्य मुम्बई में स्थित कुछ ट्रेड युनियनों व संगठनों ने बीते 2-3 दिनों में विचार-विमर्श किया। इसमें ट्रेड युनियन सालीडैरिटी कमिटी, बिगुल मजदूर दस्ता (मुम्बई), एयरपोर्ट इम्पलाइज़ युनियन, फोरम अगेंस्ट वायलेंस ऑन विमेन, सर्व श्रमिक संघ, रिलांस इलेक्ट्रीकल इम्प्लाइज़ युनियन, आदि संगठनों और मुम्बई की जानी मानी वाम बुद्धिजीवी व कार्यकर्ता सनोबर आदि ने हिस्सेदारी की। इस विचार विमर्श के दौरान मारूति सुजुकी के संघर्षरत मजदूरों के समर्थन में मुम्बई के विभिन्न संगठनों द्वारा साझी कार्रवाही के लिए एक सालीडैरिटी कमिटी बनाने का निर्णय लिया गया और इसके तहत मुम्बई लोकल के प्रमुख स्टेशनों पर विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही इन विरोध प्रदर्शनों को लगातार जारी रखने के ऊपर भी सहमति जताई गयी।
नीचे बिगुल मजदूर दस्ता मुंबई द्वारा हरियाणा सरकार को दिए गए ज्ञापन को जोड़ा जा रहा है-
सेवा में
श्री भूपिंदर सिंह हुड्डा
माननीय मुख्यमंत्री, हरियाणा सरकार
विषयः मारूति सुज़ुकी के मजदूर के पुलिस दमन पर रोक लगाने और उनकी जायज़ माँगों को पूरा करने के सम्बन्ध में
महोदय,
जैसा कि आपके संज्ञान में होगा, मारुति सुजुकी, मानेसर प्लाण्ट के मज़दूर 18 जुलाई की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद पिछले दस महीनों से पुलिस-प्रशासन और कम्पनी के मैनेजमेण्ट की एकतरफा मज़दूर विरोधी कार्रवाइयाँ जैसे फर्जी मुकदमे, गिरफ्ऱतारियाँ, पुलिस हिरासत में यातना, बिना जाँच के 546 मज़दूरों की बर्खास्तगी, करीब दो हज़ार ठेका मज़दूरों का भविष्य भी अँधेरे में लटकाए रखना, आदि के खिलाफ अपना विरोध् प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। लेकिन एक ओर तो जहाँ मारूति मैनेजमेण्ट मजदूरों की किसी भी माँग को सुनने के लिए बिल्कुल भी राजी नहीं है वहीं हरियाणा सरकार और पुलिस भी पूरी तरह से मजदूरों के खिलाफ मैनेजमेण्ट के पक्ष में काम कर रही हैं। गत 18 व 19 मई को हरियाणा पुलिस द्वारा किया गया मजदूरों का बर्बर दमन एक बार पिफर इसी बात को सत्यापित करता है।
गौरतलब है कि पिछले लगभग दो महीनों से मारूति के मजदूरों का संघर्ष हरियाणा के कैथल इलाके में जारी था। 18 मई की आधी रात को अचानक पुलिस ने धरना स्थल से 96 मजदूरों को गिरफ्रतार किया और पूरे कैथल में धारा 144 लगा दी। ज्ञात हो कि गिरफ्रतार लोगों में से अधिकांश को तो छोड़ दिया गया है लेकिन 11 मजदूरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर धारा 307 और आम्र्स एक्ट सहित 8 धराएँ लगाई गयी हैं। 18 व 19 मई को घटी इस पूरी घटना ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि हरियाणा सरकार काॅरपोरेट घरानों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ मिलकर तानाशाही पर उतर आयी है और मजदूरों व नागरिकों के सभी संविधनप्रदत्त अध्किारों को ताक पर रख दिया गया है।
महोदय, गुड़गाँव-मानेसर-धरूहेड़ा औद्योगिक पट्टी में मज़दूरों पर दमन का यह सिलसिला पिछले सात वर्षों से जारी है। होण्ड़ा, रिको और अब मारुति सुजुकी की घटनाएँ श्रम कानूनों को लागू करवाने और यूनियन बनाने के अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे मज़दूरों के बर्बर दमन की मिसाल हैं। इस औद्योगिक पट्टी के दर्जनों अन्य कारखानों में भी मज़दूरों की आवाज़ को बुरी तरह कुचला गया है। इस बार दमन और अत्याचार सारी सीमाओं को लाँघ गया है।
इसलिए हम मारूति मजदूरों के न्याय संघर्ष में उनके साथ खड़े होने के अपने संकल्प की आपको सूचना देते हैं और हम हरियाणा पुलिस व हरियाणा सरकार की इस तानाशाहानापूर्ण कार्यवाही का पुरज़ोर विरोध् करते हैं और आप से अपील करते हैं कि शांतिपूर्ण रूप से जारी मजदूरों के विरोध् प्रदर्शन पर हो रहे पुलिस दमन पर रोक लगाई जाए, गिरफ्रतार लोगों को तत्काल बिना किसी शर्त के रिहा किया जाए और मजदूरों की जायज़ माँगों को तत्काल पूरा किया जाए।
इसलिए, हम आपसे माँग करते हैं -
1. मजदूरों के शांतिपूर्ण विरोध् प्रदर्शन के दमन पर रोक लगाई जाए और 18 व 19 मई को गिरफ्तार सभी मजदूरों व सामाजिक कार्यकत्र्ताओं को तत्काल रिहा किया जाए।
2. मारुति सुजुकी, मानेसर में 18 जुलाई को हुई घटना की और उसमें मैनेजमेंट की भूमिका की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जाँच करायी जाये।
3. 147 गिरफ्ऱतार मज़दूरों को तत्काल रिहा किया जाये और फर्जी मुक़दमे वापस लिये जायें। जेल के भीतर, कम्पनी के अन्दर और बाहर, मज़दूरों तथा उनके परिजनों- रिश्तेदारों के खि़लापफ़ दमन-उत्पीड़न के सभी हथकंडों को तत्काल रोका जाये।
4. सभी बर्खास्त 546 मज़दूरों को काम पर वापस लिया जाये और 2000 अस्थायी मज़दूरों को नियमित नियुक्ति दी जाये।
5. मारुति सुज़्ाुकी सहित गुड़गाँव-मानेसर क्षेत्रा के तमाम कारख़ानों में श्रम क़ानूनों के गम्भीर उल्लंघन की जाँच करने के लिए विशेष जाँच समिति गठित की जाये जिसमें मज़दूर संगठनों के प्रतिनिधियों, श्रम मामलों के विशेषज्ञों और जनवादी अधिकारकर्मियों को भी शामिल किया जाये।
साभिवादन,
प्रशांत
बिगुल मजदूर दस्ता, मुम्बई
नीचे बिगुल मजदूर दस्ता मुंबई द्वारा हरियाणा सरकार को दिए गए ज्ञापन को जोड़ा जा रहा है-
सेवा में
श्री भूपिंदर सिंह हुड्डा
माननीय मुख्यमंत्री, हरियाणा सरकार
विषयः मारूति सुज़ुकी के मजदूर के पुलिस दमन पर रोक लगाने और उनकी जायज़ माँगों को पूरा करने के सम्बन्ध में
महोदय,
जैसा कि आपके संज्ञान में होगा, मारुति सुजुकी, मानेसर प्लाण्ट के मज़दूर 18 जुलाई की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद पिछले दस महीनों से पुलिस-प्रशासन और कम्पनी के मैनेजमेण्ट की एकतरफा मज़दूर विरोधी कार्रवाइयाँ जैसे फर्जी मुकदमे, गिरफ्ऱतारियाँ, पुलिस हिरासत में यातना, बिना जाँच के 546 मज़दूरों की बर्खास्तगी, करीब दो हज़ार ठेका मज़दूरों का भविष्य भी अँधेरे में लटकाए रखना, आदि के खिलाफ अपना विरोध् प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। लेकिन एक ओर तो जहाँ मारूति मैनेजमेण्ट मजदूरों की किसी भी माँग को सुनने के लिए बिल्कुल भी राजी नहीं है वहीं हरियाणा सरकार और पुलिस भी पूरी तरह से मजदूरों के खिलाफ मैनेजमेण्ट के पक्ष में काम कर रही हैं। गत 18 व 19 मई को हरियाणा पुलिस द्वारा किया गया मजदूरों का बर्बर दमन एक बार पिफर इसी बात को सत्यापित करता है।
गौरतलब है कि पिछले लगभग दो महीनों से मारूति के मजदूरों का संघर्ष हरियाणा के कैथल इलाके में जारी था। 18 मई की आधी रात को अचानक पुलिस ने धरना स्थल से 96 मजदूरों को गिरफ्रतार किया और पूरे कैथल में धारा 144 लगा दी। ज्ञात हो कि गिरफ्रतार लोगों में से अधिकांश को तो छोड़ दिया गया है लेकिन 11 मजदूरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर धारा 307 और आम्र्स एक्ट सहित 8 धराएँ लगाई गयी हैं। 18 व 19 मई को घटी इस पूरी घटना ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि हरियाणा सरकार काॅरपोरेट घरानों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ मिलकर तानाशाही पर उतर आयी है और मजदूरों व नागरिकों के सभी संविधनप्रदत्त अध्किारों को ताक पर रख दिया गया है।
महोदय, गुड़गाँव-मानेसर-धरूहेड़ा औद्योगिक पट्टी में मज़दूरों पर दमन का यह सिलसिला पिछले सात वर्षों से जारी है। होण्ड़ा, रिको और अब मारुति सुजुकी की घटनाएँ श्रम कानूनों को लागू करवाने और यूनियन बनाने के अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे मज़दूरों के बर्बर दमन की मिसाल हैं। इस औद्योगिक पट्टी के दर्जनों अन्य कारखानों में भी मज़दूरों की आवाज़ को बुरी तरह कुचला गया है। इस बार दमन और अत्याचार सारी सीमाओं को लाँघ गया है।
इसलिए हम मारूति मजदूरों के न्याय संघर्ष में उनके साथ खड़े होने के अपने संकल्प की आपको सूचना देते हैं और हम हरियाणा पुलिस व हरियाणा सरकार की इस तानाशाहानापूर्ण कार्यवाही का पुरज़ोर विरोध् करते हैं और आप से अपील करते हैं कि शांतिपूर्ण रूप से जारी मजदूरों के विरोध् प्रदर्शन पर हो रहे पुलिस दमन पर रोक लगाई जाए, गिरफ्रतार लोगों को तत्काल बिना किसी शर्त के रिहा किया जाए और मजदूरों की जायज़ माँगों को तत्काल पूरा किया जाए।
इसलिए, हम आपसे माँग करते हैं -
1. मजदूरों के शांतिपूर्ण विरोध् प्रदर्शन के दमन पर रोक लगाई जाए और 18 व 19 मई को गिरफ्तार सभी मजदूरों व सामाजिक कार्यकत्र्ताओं को तत्काल रिहा किया जाए।
2. मारुति सुजुकी, मानेसर में 18 जुलाई को हुई घटना की और उसमें मैनेजमेंट की भूमिका की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जाँच करायी जाये।
3. 147 गिरफ्ऱतार मज़दूरों को तत्काल रिहा किया जाये और फर्जी मुक़दमे वापस लिये जायें। जेल के भीतर, कम्पनी के अन्दर और बाहर, मज़दूरों तथा उनके परिजनों- रिश्तेदारों के खि़लापफ़ दमन-उत्पीड़न के सभी हथकंडों को तत्काल रोका जाये।
4. सभी बर्खास्त 546 मज़दूरों को काम पर वापस लिया जाये और 2000 अस्थायी मज़दूरों को नियमित नियुक्ति दी जाये।
5. मारुति सुज़्ाुकी सहित गुड़गाँव-मानेसर क्षेत्रा के तमाम कारख़ानों में श्रम क़ानूनों के गम्भीर उल्लंघन की जाँच करने के लिए विशेष जाँच समिति गठित की जाये जिसमें मज़दूर संगठनों के प्रतिनिधियों, श्रम मामलों के विशेषज्ञों और जनवादी अधिकारकर्मियों को भी शामिल किया जाये।
साभिवादन,
प्रशांत
बिगुल मजदूर दस्ता, मुम्बई
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