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आमरण अनशन से घबराया प्रशासन: अनशन स्थल से हटाया मजदूरों को

30  मार्च, कैथल। मारुति मजदूरों के फौलादी इरादों से घबराये हुए प्रशासन ने अनशन स्थल की ज़मीन के मालिक से मिलकर अनशन रुकवाने के लिए मजदूरों को अनशन स्थल से हटवाया और संपत्ति और जान के खतरे का झूठा केस भी दर्ज करवाया है। इसके बावजूद अनशन जारी है, मजदूरों ने बराबर के प्लाट पर डेरा दाल है, और १ अप्रेल के दिन मारुति मजदूर इलाके में एक बड़ी रैली निकालकर अपनी लड़ाई को आगे बढ़ने और प्रशासन को चेत जाने का बिगुल फूंक रहे हैं। 
 

28 मार्च को MSWU के आमरण अनशन के पहले दिन DC ऑफिस तक रैली की विडिओ

मारुति मजदूरों के आमरण अनशन का दूसरा दिन

मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन की लड़ाई अभी भी जारी है!
कैथल, 29 मार्च। 28 मार्च से मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन अपनी मांगो को पूरा करने के लिए चल रही आमरण अनशन का आज दूसरा दिन है. यूनियन के रामनिवास, अमरदीप, किशन और राकेश आमरण अनशन पर बैठे हैं. जिनके समर्थन में अन्य मजदूर, बिगुल मजदूर दस्ता, गाँव से परिजन व नागरिक (जिसमें महिलाओं की भी बड़ी संख्या थी) आये हैं। सभी लोग वहीँ पर अनशन के समर्थन में डेरा डालकर बैठ गए हैं. समर्थन में आये साथियो ने वहीँ पर सामूहिक रसोई बनाकर खाना खाया. दिन में कड़ी धुप झेलते और फिर शाम को आंधी तूफ़ान और बारिश के बावजूद मजदूर वहीँ डटे रहे. दिन में यूनियन की एक टीम ने डिप्टी कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा।


सामूहिक रसोई 




अभी लड़ाई जारी है....आप किसके साथ..?

हरियाणा सरकार और मारुति मैनेजमेंट की अन्‍धेरगर्न्‍दी के खिलाफ मारूति के बहादुर मजदूरों का   संघर्ष जिन्दाबाद!!

(बिगुल मजदूर दस्ता का मारुति मजदूरों की आमरण अनशन के समर्थन में परचा)
हरियाणा के मेहनतकश साथियो,
मारुति सुजुकी, मानेसर के मज़दूरों के खिलाफ हरियाणा सरकार और मारुति सुजुकी मैनेजमेन्ट के बर्बर दमन की कार्रवाइयों ने पूँजीवादी शासन के घनघोर मज़दूर विरोधी चेहरे को एकदम नंगा कर दिया है। बिना किसी जाँच और मुकदमे के 147 मज़दूरों को ''हत्यारा'' और ''अपराधी'' घोषित करके जेल में प्रताडित किया जा रहा है और वहीं दूसरी तरफ 2400 मज़दूरों को बेरोज़गार करके सड़क पर धकेल दिया गया है। हथियारबन्द पुलिस के साये में फैक्ट्री को हिटलरी जेलख़ाने में बदलकर चलाया जा रहा है। पुलिस, सरकार से लेकर न्यायपालिका तक बेशर्मी के सारे रिकार्ड तोड़कर कम्पनी के एजेण्टों की भूमिका निभा रहे हैं।  लेकिन इस एकतरफा कार्रवाई के बाद भी मारुति सुजुकी के बर्खास्त मज़दूर पिछले आठ महीनों से अपने हक और इंसापफ की लड़ाई जारी रखे हुए हैं। अभी तक मारूति सुजुकी वर्कर्स यूनियन हरियाणा के श्रममंत्री, उद्योगमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री भूपिन्दर हुडडा के सामने अपनी माँगें रख चुकी है, लेकिन सभी मंत्रियों ने मारुति सुजुकी मैनेजमेंट के सुर में सुर मिलते हुए मज़दूरों को ही दोषी बताया और निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच की मांग तक को ख़ारिज कर दिया। हम मारुति सुजुकी के मज़दूरों को उनके जुझारूपन के लिए बधाई देते हैं। कदम-कदम पर दमन, उत्पीड़न और तमाम तरह की मुश्किलों का सामना करते हुए भी उन्होंने अपने संघर्ष को जारी रखा है और विरोध को कुचल डालने के सरकारी हथकण्डों के आगे झुके नहीं हैं।  नौजवान भारत सभा और बिगुल मजदूर दस्ता कैथल में जारी मारुति सुजुकी मज़दूरों के आमरण अनशन का गर्मजोशी से समर्थन करता है और साथ ही हरियाणा के समस्त मेहनतकश जनता का आह्वान करता हैः साथियो, मारुति के मज़दूरों का आन्दोलन हम सबके लिए एक चेतावनी है! अगर हम अलग-अलग लड़ते रहेंगे और एक नहीं होंगे तो पूँजी और सत्ता की ये ताव़फतें हमें कुचलकर रख देंगी। विरोध की हर आवाज़ का गला घोंट डालेंगी। ऐसे में हमारी असली ताकत अपनी वर्ग एकजुटता की ताकत है। आज़ादी के 65 वर्ष बीत जाने के बाद मज़दूरों-गरीब किसानों के हालात शहीदेआजम भगतसिंह की इस चेतावानी को याद दिलाते हैं कि पूंजीपरस्त चुनावबाज पार्टियों के नेतृत्व में मिलने वाली आजादी 10 फीसदी उपर के लोगों की आजादी होगी, यानी पूंजीपतियों -धनसेठों की आजादी।जबकि देश का 90 फीसदी उत्पादक वर्ग बदस्तूर पूँजीपतियों की तानाशाही और लूट के तले पिसता रहेगा। इसलिए इस डाकेजनी और लूट के खिलाफ हमें मारुति मज़दूरों का साथ देने के लिए आगे आना होगा। हम मिलकर लड़ेंगे, तो ज़रूर जीतेंगे! हम तमाम मेहनतकश जनता का आह्वान करते हैं- संकट की इस घड़ी में मारुति के मज़दूरों का साथ देने के लिए आगे आओ और ज्यादा से ज्यादा जनबल के साथ कैथल में उद्योगमंत्री रणदीप सुरजेवाला के आवास स्थान पर मारुति मजदूरों के अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के समर्थन में पहुँचो! हरियाणा सरकार और मारुति के मैनेजमेंट को हमें बता देना होगा कि यह अँधेरगर्दी नहीं चल सकती! मारुति सुजुकी के अपने मज़दूर भाइयों की आवाज़ में आवाज़ मिलाकर कहें-

अंधकार का युग बीतेगा! जो लड़ेगा वो जीतेगा!!
इंकलाबी सलाम के साथ!
नौजवान भारत सभा बिगुल मजदूर दस्ता  सम्पर्कः रमेश खटकड़ 09991908690, रोहताश कलायत- 09729619310.

अपील (जेल की बंद दीवारों से)



                                     न्याय के लिए हमारे समर्थन में खड़े हों


हम मारुति सुजुकी के वो मजदूर है जिनको 18-7-2012 की दुर्घटना का इल्जाम लगाकर बिना किसी न्यायिक जांच के जेल में डाल दिया गया हैं. हम 147 मजदूर अभी भी गुडगाँव सेंट्रल जेल के सलाखों के पीछे बंध हैं. जुलाई के बाद लगभग 2500 पक्के और कच्चे कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया. पिछले 8 महीनों से हम हरियाणा और केन्द्रीय सरकार के बहुत सारे उच्च अधिकारियों, हरियाणा राज्य के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री जी को भी कई बार अपील कर चुके हैं. लेकिन न तो हमारी कहीं सुनाई हो रही है, न ही हमें जमानत दी जा रही है. और तो और, जो हरियाणा पुलिस ने चार्जशीट कोर्ट में पेश की है, उसमें किसी गवाह का नाम नही है और वह आधी अधूरी है. हमारा लोकतान्त्रिक अधिकारो का हनन लगातार हो रहा हैं, और कानून को कंपनी मालिकों के स्वार्थ में व्यवहार किया जा रहा हैं. इस दौरान बहत से कर्मचारियों ने अपने परिवार के सदस्य के साथ-साथ बहत कुछ खो दिया है. काफी मजदूर ऐसे भी है जिनके माता-पिता नहीं हैं और पुरे परिवार का पालन पोषण का भार उन्ही पर है. काफी ऐसे भी साथी हैं, जब उन्हें जेल में डाला गया, तब उनकी पत्नियाँ गर्भवती थी. उनकी डिलीवरी के समय भी कर्मचारियों
को न तो जमानत दी गयी, न ही पे-रोल पे छुट्टी दी गयी और न ही पे-रोल कस्टडी में ही भेजा गया. परिवार में अकेली होने के कारण व पति के जेल में होने के कारण, पता नहीं किन परिस्थितियों में उनकी डिलीवरी हुई है. इसके हम निचे कुछ उदाहरण प्रस्तुत कर रहे है:-
  1. हमारे एक साथी सुमित S/O स्वर्गीय श्री छत्तर सिंह के घर में सुमित और उनकी पत्नी के अलावा कोई अन्य पारिवारिक सदस्य नहीं है. लेकिन फिर भी दिनांक 6.12.2012 को उनकी पत्नी की डिलीवरी गुडगाँव के एक अस्पताल में हुई और उनकी देखभाल के लिए सुमित को कोई भी राहत प्रदान नहीं की गई.
  2. हमारे एक साथी विजेंद्र S/O स्वर्गीय श्री दलेल सिंह अपने परिवार का पालन पोषण करनेवाला अकेला सदस्य है. उसके घर में उसकी पत्नी व बिमार माँ है. उसकी पत्नी की डिलीवरी 10.01.2013 को झज्जर के एक अस्पताल में हुई. विजेंद्र के माँ के बिमार होने के कारण उसकी पत्नी कि डिलीवरी के समय देखभाल करनेवाला कोई नहीं था. लेकिन फिरभी विजेंद्र को पत्नी के देखभाल के लिए डिलीवरी के समय कोई राहत नहीं दी गई.
  3. हमारे साथी रामबिलास S/O स्वर्गीय श्री सीलक राम की दादीमा 26.02.2013 को रामबिलास के वियोग में बिमार हो कर स्वर्ग सिधार गई, क्योकि वह उसकी दादीमा का बहुत लाडला था. और तो और उसे दाह-संस्कार में सामिल होने या दादीमा के अंतिम दर्शन करने के लिए पेरोल कस्टडी में भी नहीं ले जाया गया. कुछ ही दिनों के बाद जब उसकी पत्नी कि डिलीवरी होनी थी तो उसकी जमानत या छुट्टी के लिए याचिका लगाई गई तब भी उसे कोई राहत नहीं दी गई. इससे उसके ऊपर बड़ा मानसिक आघात हुआ है.
  4. हमारे एक साथी प्रेमपाल S/O श्री छिद्दीलाल के उपर पुरे परिवार के पालन पोषण का भार है, वह जब जेल में आया था तब उसके परिवार की रोजी-रोटी उसी के बलबूते पर टिकी हुई थी. परन्तु उसके जेल में आने के बाद उसकी इकलौती बेटी जो मात्र दो साल की थी, जो अपने पापा के वियोग में बीमार होकर पापा-पापा करते हुए भगवान को प्यारी हो गई. ये जख्म अभी हरा ही था कि तभी कुछ दिन बाद प्रेमपाल की माँ बेटे के वियोग में व अपनी लाडली पोती के वियोग में बीमार होकर स्वर्ग सिधार गई. हद तो तब हो गई जब उसकी एक सप्ताह कि छुट्टी भी ख़ारिज कर दी गई व उसे मात्र एक घंटे के लिए दाह-संस्कार होने के अगले दिन पे-रोल कस्टडी में भेजा गया. जबकि गुडिया व माताजी के देहांत के दुःख में घर में अकेली उसकी पत्नी भी बीमार होने के कारण अस्पताल में दाखिल करवानी पड़ी जो अभी भी बिमार है तथा उसकी देखभाल करनेवाला कोई नहीं है. और इस कारण प्रेमपाल बहुत अधिक मानसिक दबाव में है.
  5. हमारे एक साथी राहुल S/O श्री विनोद रतन जो घर में अपने माँ-बाप का एक इकलौता बेटा है व उसकी एक ही बहन है. उसकी बहन कि शादी दिनांक 16.11.2012 को हुई. परन्तु उसे कस्टडी में भी अपनी बहन के शादी के कन्यादान के लिए नहीं भेजा गया जिसके कारण घर की इकलौती बेटी की शादी होते हुए भी घर में मातम जैसा माहौल रहा और राहुल मानसिक दबाव में है.
  6. हमारे एक साथी सुभाष S/O श्री लाल चंद जो कि अपनी दादीमा का बहुत लाडला था. जब वह जेल में आया तो उसके वियोग में उसके दादीमा खाना-पीना छोड़ दिया व कुछ दिन में ही अपने पोते को याद करते हुए स्वर्ग सिधार गई. परन्तु सुभाष को दाहसंस्कार या अंतिम दर्शन के लिए पे-रोल कस्टडी में भी नहीं भेजा गया.
ऐसी और कितनी ही दुख भरी घटनाएँ है जिन्हें लिखते लिखते एक पूरी किताब बन जाये !
हमारे बारे में: परिचय, परिवार, नौकरी
हम सभी किसान या मजदूरों के बच्चे हैं. माँ-बाप ने हमे बड़ी मेहनत से खून-पसीना एक करके 10वी-12वी या ITI शिक्षा दिलवाई व इस लायक बनाया कि इस जीवन में कुछ बन सके व अपने परिवार का सहारा बन सके.
हम सभी ने कंपनी द्वारा भर्ती प्रक्रिया में लिखित व् मौखिक परीक्षायों को पास करके व् कंपनी की जो जो भी नियम व शर्ते थी, उनपर खरे उतर कर मारुति कंपनी को ज्वाइन किया. जोइनिंग करने से पहले, कंपनी ने सभी प्रकार से हमारी जांच करवाई थी, जैसे- घर की थाने तहसील की व क्रीमिनल जांच करवाई गई थी! पिछले समय का हमारा कोई क्रिमिनल रिकार्ड नहीं हैं.
जब हमने कंपनी को ज्वाइन किया तब, कंपनी का मानेसर प्लांट निर्माणाधीन था. हमने अपने कड़ी मेहनत व लगन से अपने भविष्य को देखते हुए, कंपनी को एक नयी उचाई पर ले गए. जब पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी छायी हुई थी, तब हमने प्रतिदिन दो घंटे एक्स्ट्रा टाइम देकर साल में 10.5 लाख गाड़ियों का निर्माण किया था. कंपनी की लगातार बढ़ते मुनाफा का हम ही पैदावार रहे हैं, जबकि आज हमे अपराधी और खूनी ठहराया जा रहा हैं.
हम लगभग सभी मजदूर गरीब मजदूर-किसान परिवारों से हैं जिनकी जीविका हमारी नौकरी पर ही निर्भर हैं. हमनें अपने व अपने परिवार के भविष्य के सपने बुन रखे थे, कि हमारा भी अपना घर होगा. भाई-बहन व बच्चो को अच्छी शिक्षा दिलाएंगे, ताकि उनका भविष्य भी उज्जवल हो सके व माता-पिता जिन्होंने इतने कष्ट उठाकर हमें इस लायक बनाया कि हम अपने पैरों पे खड़े हो सकें, उनका जीवन आरामदायक बनायेंगे.
कंपनी में हमारा हर प्रकार से शोषण हो रहा था, जैसे कि-

  1. किसीको भी तबियत ख़राब होने पर डिस्पेंसरी न जाने देना व बिमारी की हालत में भी पूरा काम करवाना.
  2. यहाँ तक कि टॉयलेट भी नहीं जाने दिया जाता था. केवल लांच या टि-टाइम में ही जाने दिया जाता था.
  3. अधिकारीयों का कर्मचारियों के साथ भद्दा व्यवहार व गालिया देना और कभी कभी तो दंड देने के लिए थप्पड़ मारना व मुर्गा बना देना.
  4. यदि किसी कर्मचारी के साथ या उसके परिवार के किसी सदस्य के साथ दुर्घटना या कोई समस्या होने पर या यहाँ तक की किसी सम्बन्धी की मृत्यु होने पर यदि कर्मचारी दो या चार दिन की छुट्टी लेता था, तो उसकी सेलरी का आधा भाग, लगभग नौ हज़ार रुपये काट लिया जाता था.
इस प्रकार शोषण के कारण कर्मचारियों को यूनियन कि जरूरत महसूस हुई. कंपनी यूनियन के खिलाफ थी, जिनके कारण हमारी साल 2011 में तीन हड़ताल हुई, जिसमे हमारे तीस साथियों को नौकरी से निकाल दिया गया. लेकिन आख़िरकार हमने फरवरी 2012 में यूनियन का रजि. करवाया, जिसमे हमारी मदद एच.आर. मैनेजर स्वर्गीय श्री अवनिश कुमार देव ने कि थी. हमारी मदद करने के कारण कंपनी देव जी से बहुत खफा हो गई थी, जिसके चलते देव जी ने नौकरी से अपना इस्तीफा दे दिया था. कंपनी ने पोल खुलने के डर से उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया था. यूनियन को तोडवाने व देव जी को रास्ते से हटाने के लिए एक योजनाबंध तरीके से बाउन्सरों व गुंडों को बुलाकर 18  जुलाई 2012 की ‘दुर्घटना’ को अंजाम दिया.

अब कि स्थिति
हम 147 मजदूरों को बिना किसी न्यायिक जाँच किये जेल में डाल दिया गया. हमारा जेल में बंध रहते 8 महीनें से ज्यादा समय हो चुका है. यहाँ जेल में हम बहुत मानसिक दबाव झेल रहे है. कई लोगों को टी. बी., पिलिया व किसीको दौरे पड़ रहे है. और बहुत सारे कर्मचारियों को अन्य काफी बिमारियों का सामना करना पड़ रहा है.
हमारे लगभग सभी परिवारों में कमाने वाले केवल हम थे जो जेल में बंध हैं. जिसके कारण परिवारों को भूखे मरने की नोबत आ गई है. औरोतों और बच्चों कि शिक्षा तक भी छुट गई है जो कि उनका मौलिक अधिकार है. हमारा और हमारे परिवार का भविष्य अंधकार हो गया है. हमारे परिवार के सभी सदस्य भी मानसिक तौर पर बहुत परेशान है. हमे डर हैं कि वो परेशानी के कारण कोई गलत कदम न उठाये.

जेल से बाहर कर्मचारियों कि मौजूदा स्थिति 
147 कर्मचारियों को जेल में डालने के साथ साथ कंपनी ने लगभग 2500 कच्चे और पक्के कर्मचारियों की बिना किसी न्यायिक जाँच के नौकरी से निकाल दिया और वह बेरोजगार हो गए. उनकी परिवारों की  स्थिति भी गंभीर है. यहा तक कि उनके पास कोई एक्सपीरियंस डोकुमेंट प्रूफ नहीं है और उनका पूरा कैरियर बर्बाद हो चूका है और उनमे से जो भी कोई हमारी पैरवी करने के लिए आगे आता है, उसे भी उठाकर जेल में डाल दिया जाता है (जैसे साथी ईमान खान के साथ किया गया, जिसका नाम कोई एफ.आई.आर., चार्जशीट या एस.आई.टी. रपट में नहीं था; 65 मजदूरों के ऊपर अभी भी गैर-जमानती वारंट जारी हैं). जेल में बंध कर्मचारियों और बाहर बेरोजगार कर्मचारियों के पास अपनी जीविका चलाने का कोई भी साधन नहीं है, जिसके चलते सभी मानसिक दबाव में है. लेकिन इन हालातों के बीच भी जेल के बहार के हमारे साथी जो न्याय के लिए संघर्ष जारी रखे हैं, उससे हमे इन सलाखों के पीछे भी आशा और उर्जा मिलती हैं. आठ महीने के उपर चल रहे इस संघर्ष में हमे देश के अलग अलग प्रान्त से मजदूर, मेहनतकश और आम जनता के समर्थन के खबरे आती रही हैं, जो भी हमे उम्मीद देती रही हैं.
हम अपनी जाँच की मांगों को लेकर सरकार के लगभग सभी मंत्रियों से मिल चुके हैं. राज्य उद्योग मंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री से भी न्याय की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन सरकार हरियाणा के मजदूर-कर्मचारियों की बजाये कंपनी मालिकों की ही तरफ झुकी हुई है. हम अंतिम बार सरकार से अपील करते है कि मरने या मारने के इस मुकाम तक पहुचने से पहले हमारे साथ न्याय हों.
हमे आपकी समर्थन और राय कि जरुरत है. कृपया अपनी राय और सहायता दें !

मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन
(MSWU यूनियन के पूरे पदाधिकारी गुडगाँव सेंट्रल जेल के अन्दर बंध हैं, जहा अभी भी 147 मजदूर बिना जांच या जमानत कैद हैं; यह अपील कि चिट्ठी वही से भेजा गया हैं.)

मारुति मजदूरों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल

(यह पुरानी तस्वीर है)
25 मार्च, कैथल। मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन के नेतृत्व में रणदीप सूरजेवाला के आवास पर मारुति सुजुकी के मजदूर कल से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। मजदूरों को उद्योग मंत्री ने बहलाना चाहा और हड़ताल न करने को कहा, पुलिस ने गिरफ्तारी करनी चाही जिससे की यह हड़ताल रोकी जा सके पर मजदूर डटे हुए हैं। ज्ञात हो कि केंद्रीय ट्रेड यूनियन लम्बे समय से एम् एस डब्लू यु का हड़ताल में व्यापक साथ देने की बात कर रही थीं जिससे की गुडगाँव के अन्दर हड़ताल की जा सके परन्तु वक्त आने पर वे अपने वायदे से मुकर गयीं। लम्बे समय से बिगुल मजदूर दस्ता मारुती मजदूरों यही राय दे रहा था की केन्द्रीय ट्रेड युनिअनो पर भरोसा करने की जगह अपनी ताकत पर भरोसा किया जाए क्योंकि उनका इतिहास गद्दारीयों से भरा पड़ा है। परन्तु इसके बावजूद भी मजदूरों की लड़ाई जारी है। मालिको, सरकार, पुलिस,कचहरी के गठजोड़ के खिलाफ मजदूर अपने और अपने साथियों के संघर्ष में डटे हुए हैं। मारुति मजदूरों की मांगे हैं-
1. गिरफ्तार किये गए 156 मजदूरों को रिहा किया जाए।
2. नौकरी से निकाले गए मजदूरों को मुआवजा दिया जाए और नौकरी पर वापस रखा जाए।
3. 18 जुलाई की घटना की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।

यह सिर्फ चेतावनी है और अगर मजदूरों नकी मांगे नहीं मानी गयी तो मजदूर क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठेंगे।