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मारुति मज़दूरो के समर्थन में दिल्ली में विरोध प्रदर्शन



नयी दिल्ली, 5 फरवरी। मारुति मज़दूरो के दमन के खिलाफ आज देश भर के 16 शहरो में तमाम संगठनो और ट्रेड युनियनो ने विरोध प्रदर्शन आयोजित किया। दिल्ली के जन्तर-मन्तर पर हुए प्रदर्शन में मारुति सूज़ूकी वर्कर्स यूनियन, बिगुल मज़दूर दस्ता, पीयुडीआर, इंकलाबी मजदूर केंद्र, रेडिकल नोट्स, आल इंडिया फेडरेशन आफ ट्रेड यूनियन (न्यू), क्रान्तिकारी नौजवान सभा आदि संगठनो ने हिस्सेदारी की तथा प्रधनमंत्राी के नाम एक ज्ञापन सौपा जिसमे पुलिस द्वारा दमन बंद किये जाने, मजदूरो के फर्जी मुकदमे वापस लिए जाने, बर्खास्त 2500 मज़दूरो को काम पर वापस लेने व मज़दूरो के दमन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार मालिक, प्रबंधन और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्यवाही करने की मांग की गई। मारुति सूजूकी के राजपाल ने इस प्रदर्शन की शुरुआत करते हुए कहा कि 18 जुलाई को मारुति सुजुकी के मानेसर संयंत्र में प्रबन्धन की साजिश के नतीजे पर हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद पूरा प्रशासन और प्रबन्धन मारूति के मजदूरो को अपराधी साबित करने में जुट गये थे। बिना किसी जाँच के केन्द्र सरकार और हरियाणा राज्य सरकार से लेकर न्यायपालिका तक ने कम्पनी और प्रबन्धन के पक्ष से एकतरफा कार्रवाई करते हुए मजदूरो के साथ अपराधियो के समान व्यवहार किया। मारूति सुजुकी ने 21 सितम्बर को मानेसर संयंत्र को  फिर से शुरू करने के साथ 546 मजदूरो को एकतरफा तरीके से निकाल दिया। पुलिस द्वारा मजदूरो के खिलाफ चलाये गये धरपकड़ अभियान के परिणामस्वरूप अभी तक 150 मजदूर सलाखो के पीछे हैं। यूनियन की प्रोविजनल केमिटी के सदस्य कटार सिंह ने बताया कि  कमिटी के ईमान खान को हरियाणा पुलिस ने एक प्रेस कोफ्रेंस के दौरान उठा लिया। उन्होने कहा की मांगे पूरी नहीं होने तक यह संघर्ष चलता रहेगा। पीयूडीआर के गौतम नवलखा ने कहा कि मजदूरो की मांगे सिर्फ ज्ञापन देने या अर्जी देने से नहीं मानी जायेंगी, अपनी मांगो को मनवाने के लिए मजदूरो को सड़कों पर उतरकर संघर्ष का जुझारू रास्ता इख्तियार करना होगा। बिगुल मज़दूर दस्ता के अभिनव ने बताया कि मारुति के मज़दूरों के संघर्ष को आठ महीने हो गये है और अब एक-एक दिन के प्रदर्शन व अलग-अलग मंत्रियो को ज्ञापन देने को दौर खत्म करना होगा क्योंकि सिर्फ ऐसा करने से कुछ हासिल नहीं हो रहा है, अगर हम चाहते हैं कि केन्द्र सरकार और हरियाणा सरकार हमारी माँगो पर ध्यान दे तो हमें खूंटा गाड़कर एक जगह बैठना होगा। उन्होने कहा कि मारुति के मज़दूर अगर पूरी ताकत के साथ डट जायें तो   केन्द्रीय ट्रेड यूनियनो को भी समर्थन देने के लिए मजबूर होना होगा और ऐसे धरने के सबसे सही जगह राजधानी दिल्ली ही हो सकती है, अगर हम तैयारी के साथ दिल्ली में डट जाते है तो ज्यादा संभावना है कि हमारा आन्दोलन विजयी हो। अन्य तमाम संगठनो और यूनियनो के वक्ताओं ने भी मारुति मज़दूरो के समर्थन की बात कही। 

                                                            

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